रविवार, 28 जून 2020

प्यार ज़िंदगी-3 (नागपुरी हिन्दी कहानी )

SCENE NO.4 EXT/DAY-ANY PACE
CHARACTER-JAY & VEER
जय और चाय वाला लड़का थक कर किसी पेड़ के नीचे बैठ जाते है | जय अपने बेग से टिफ़िन निकालता  है फिर दोनों खाने लगते है |
जय:
अब मोर इकार से बागरा भागेक नि सकबू ?
लड़का:
ठीक कहले मोय भी थक जाहों ? चल उह पेड़ दने दुनो बैठब !
जय:
ठीक हेइक चल ! तोके भूख लाईघे नि ? ले ईके खा !
(जय लड़के को अपना टिफ़िन देता है खाने को |)
जय:
अच्छा तो तोर नाम का हके ?
लड़का:
मोय खुद अपन नाम नि जानोना ! केउ मोके छोटू कहेना कोई छोड़ा कहेना केउ रामू !
जय:
तोर आयो बाबा केने हके ?
लड़का:
मोर आयो बाबा के हके मोय केने से आलो केने रहत रहो मोके कोनो नि पता ?
जब बड़का होलो तो अपन आप के इहे चाय दुकान में पालो !
जय:
अच्छा ठीक हेइक कोनो बात नखे ! मोर नाम जय हके आउर आइज़ से तोर नाम वीर होबी !
आउर मोर आयो बाबा तोर भी आयो बाबा होबी !
लड़का:
सच्ची !
जय:
हाँ ! मूची !
(दोनों हसने लगते है )
लड़का:
मोके अपन आयो बाबा से नि मिलबे ?
जय:
अरे आघे टिफ़िन के खाई ले ! हमनि दुओ आयो बाबा से मिलेकले घर जाब !
आउर हमरे दुयो मोरे घरे रहब !
(टिफ़िन खाने के बाद दोनों वहाँ से चले जाते है |)

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